Sunday Special Satsang | Satguru Ki Prassanta
ऐसी बनी बोलीये मन का आपा खोये
औरन को सीतल करें आपहूं सीतल होये
यदि गुरुमुख प्रेमी मालिक की प्रसन्नता चाहते हैं तो उन्हें चाहिए कि अपनी वाणी से किसी को दुख न पहुंचाए क्योंकि मालिक को मधुर वाणी प्रिय हैं मालिक ने स्वयं जब मनुष्य की जबान को कोमल और नम्र बनाया है तो मनुष्य कैसे किसी से कठोर वचन बोल सकता हैं ? उसे चाहिए कि अपनी वाणी को नम्र एवम मधुर बनाएं कि जिससे किसी के हृदय को ठेस ना पहुंचे
जैसा कि परमसंत श्री कबीर साहिब जी अपनी वाणी में कथन करते हैं कि :
कागा किसका धन हरे, कोयल किसको देय ।
मीठे वचन सुनाये के, जग अपनो करि लेय ।।
इसलिए सदैव मधुर वचन बोलने चाहिए
और कटु वचन बोलने से सदैव बचना चाहिए
कहते भी हैं कि
कुदरत को नापसंद हैं सख्ती जबान में ।
पैदा हुई ना इसलिए हड्डी जबान में ।।
इसलिए सभी गुरुमुखों का और खासकर जो मालिक के प्यारे होते हैं उनको हमेशा ही अपनी वाणी को मधुर बनाने का प्रयत्न करना चाहिए जिससे की वो अपने सदगुरू की प्रसन्नता को हासिल करें
बोल जय कारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज जी की जय
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