Jo Roj Roj Satguru Ke Aage Bhajan Gaate Hain Unke Sath Ek Ye Chamatkar Jarur Hota Hain
संत सूरदास जी जब भगवान के आगे भजन गाते थे तो भगवान भी स्वयं उनके सम्मुख विराजमान होकर उनके भजन सुनते थे
संत हरिदास जी भी अपनी विरासत संगीत साधना से भगवान को प्रकट होने पर विवश कर देते थे
जिनके भजनों में ऐसा प्रेम हो तो भगवान जरूर प्रकट होते हैं और उनके भजनों के आगे खुद को भी उनके प्रेम को देखकर प्रसन्न होते हैं।
एक बार संत सूरदास जी भजन में लीन थे तो भगवान ने एक लीला रची, चूंकि संत सूरदास जी बचपन से नेत्रहीन थे भगवान राधा रानी के संग नृत्य कर रहे थे तो राधा रानी के एक पैर की एक पायल गिर गई उस पायल को संत सूरदास जी ने उठाया तो भगवान ने आकर संत सूरदास जी से कहा कि आप राधा रानी के पैर पकड़ लेना उनके पैरों को छोड़ना नहीं।
संत सूरदास जी ऐसा ही किया, राधा रानी से कहा जब तक आप दोनो साथ में मिलकर मुझे दर्शन नहीं देते तब तक मैं आपको आपकी पायल नहीं दूंगा, तब भगवान ने और राधा रानी ने दोनो ने मिलकर संत सूरदास जी को दर्शन दिए, जब दोनो दर्शन देकर वापस जा रहे थे तब संत सूरदास जी कहते हैं कि आप ये आंखे तो लेते जाईए, तब भगवान उनसे कहते है कि आप तो बचपन से सूरदास है क्या आपको दुनिया नही देखनी? तब संत सूरदास जी उनसे कहते है कि भगवन,मैं क्या करूंगा इन नश्वर आंखो का? मैंने आपका दर्शन कर लिया मैने सब कुछ पा लिया अब मुझे कुछ नहीं देखना न ही कुछ ही इस दुनिया को देखना।।।।
ऐसा प्रेम था उनमें, काश वो प्रेम हम सब में हों ।।।
बोल जय कारा बोल मेरे श्री गुरु महाराज की जय
#Satsang
#RadhaRani
#Babaji